Protest continues in assembly since night —विधानसभा में रात से धरना जारी

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राजस्थान विधानसभा में विधायक मुकेश भाकर के निलंबन को लेकर कांग्रेस विधायक विधानसभा में पूरी रात धरने पर बैठे रहे। भागर को मार्शल द्वारा सदन से बाहर निकालते समय विधायकों ने धक्का-मुक्की की। मामले में विरोध जताते हुये कांग्रेस विधायक सारी रात धरने पर बैठे रहे और भजन गाते रहे।

आपको बतादें कि सोमवार कि सदन में लाडनूं कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर को स्पीकर ने निलंबित कर दिया। इस दौरान हंगामा शुरू हुआ तो स्पीकर ने मार्शल को बुला लिया। मामले को लेकर मार्शल और कांग्रेस विधायक भिड़ और धक्का-मुक्की होने लगी। इस दौरान हिंडौन विधायक अनीता जाटव की चूड़ियां टूट गईं, तो विधायक हरिमोहन शर्मा, रामनिवास गावड़िया और घनश्याम सहित कई विधायक गिर गए।

वहीं विधानसभा अध्यक्ष देवनानी का कहना है कि व्यवस्था देने के लिए पाँच बार कहा, नियमावली बताई लेकिन प्रतिपक्ष की हठधर्मिता, प्रतिपक्ष विधायक का गरिमापूर्ण आसन की ओर अभद्र व्यवहार शर्मनाक व निन्दनीय रहा। प्रतिपक्ष को ऐसे सदस्य का बचाव करना, अलोकतान्त्रिक और विकास विरोधी सोच का घोतक है। उन्होने कहा कि राजस्थान विधान सभा में नियमों और परम्पराओं के विपरित प्रतिपक्ष के हठधर्मिता वाले व्यवहार को बेहद दुःखद है। श्री देवनानी कहा कि विधानसभा जैसे पवित्र व गरिमापूर्ण सदन में किसी सदस्य के द्वारा आसन की ओर अभद्र इशारों का प्रदर्शन शर्मनाक है। प्रतिपक्ष द्वारा ऐसे सदस्य का पक्ष लेना बेहद निन्दनीय है और ऐसे सदस्य का बचाव किया जाना भी अशोभनीय है। उन्होने ने कहा कि आसन द्वारा सदस्य का निलंबन किये जाने का कदम सदन की गरीमा की रक्षार्थ उठाया गया। प्रतिपक्ष ने लगातार आसन के निर्देशों की अवहेलना की है। प्रतिपक्ष के सदस्य का सोमवार को सदन में व्यवहार और प्रतिपक्ष द्वारा ऐसे सदस्य का बचाव संसदीय परम्पराओं की अवहेलना की पराकाष्ठा है।

इस दौरान अध्यक्ष द्वारा उदार रुख दिखाते हुए आसन से पाँच बार प्रतिपक्ष नेता को नियमों के तहत विषय उठाने और व्यवस्था दिये जाने के लिए कहा गया। इसके बावजूद भी विधान सभा में प्रतिपक्ष का हठधर्मिता का प्रदर्शन करते हुए वेल में आना, सदन की गरिमा के अनुकूल नहीं है। उल्लेखनीय है कि सदन में प्रतिपक्ष नेता द्वारा उठाया गया विषय न्यायालय में विचाराधीन है। राजस्थान विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के तहत न्यायालय में विचाराधीन विषर्या पर सदन में चर्चा की अनुमति नहीं होती है। न्यायालय में विचाराधीन विषयों को बार-बार सदन में उठाया जाना नियमों ही नहीं परम्पराओं के भी विपरित होता है।

सदन में चल रहे गतिरोध के दौरान ही विधायक मुकेश भाकर द्वारा आसन के प्रति अशोभनीय व्यवहार और हाथों के इशारे से अमर्यादित प्रदर्शन किया गया, जो विधान सभा में सन 1952 से लेकर अब तक के इतिहास में ऐसे किसी व्यवहार की नजीर नहीं है और प्रतिपक्ष नेता का भी बैल में आने की परम्परा नहीं रही है। इसकी प्रतिपक्ष नेता और प्रतिपक्ष विधायको को घोर निन्दा करनी चाहिए, ताकि विधान सभा सदन की गरिमा और पवित्रता कायम रखी जा सके। विधान सभा के सभी सदस्यों का सदन की पवित्रता व गरिमा को बनाये रखने का महत्वपूर्ण दायित्व होता है।
आपको बतादें कि प्रतिपक्ष द्वारा सदन में नियमौ व आसन के निर्देशों की अवहेलना करके सदन संचालन में व्यवधान डालना और अपमानजनक भाषा के प्रयोग किये जाने के मामले गत दिनों में अनेक बार हुए है, जो आसन द्वारा सदन की समृद्ध परम्पराओं के अनुरूप स्वीकार योग्य नहीं है। पूर्व में भी प्रतिपक्ष नेता ‌द्वारा आसन को धृतराष्ट्र कहना, विधायक श्री शांति धारिवाल द्वारा सदन में सभापति को धमकाया जाना और अपशब्द के उपयोग किये जाने के साथ प्रतिपक्ष ‌द्वारा लगातार नियमों की अवहेलना उनका लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं और संसदीय परम्पराओं में आस्था नहीं होना प्रदर्शित करता है।

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