वन विभाग द्वारा राज्य के प्रत्येक ज़िले में लव कुश वाटिका स्थापित की जा रही है, ताकि स्थानीय प्राकृतिक वातावरण संरक्षण के साथ आम जनता को जोड़ा जा सके, साथ ही नेचुरल टूरिज्म को भी बढ़ावा दिया जा सके। ऐसे में राज्य में स्थापित लव कुश वाटिका न केवल आमजन के लिए अब प्रकृति से रुबरु होने का महत्वपूर्ण साधन बन कर उभर रही है बल्कि स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने का भी एक जरिया बन चुकी है।
अलवर ज़िले के उप वन संरक्षक अपूर्व कृष्ण श्रीवास्तव ने बताया कि अलवर शहर से 10 किलोमीटर की दूरी पर रूंध- शाहपुरा वन खंड में चूहड़-सिद्ध घाटी पर लव कुश वाटिका स्थापित की गयी है। उन्होंने बताया कि 75 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली यह वाटिका मूलतः पलाश का जंगल है जिसकी वजह से मार्च माह में यह घाटी केसरिया रंग में तब्दील हो जाती है। चारों तरफ से पहाड़ी से घिरी प्रकृति की गोद में बसी लव कुश वाटिका आमजनता को प्रकृति से जुड़ने का सुनहरा अवसर उपलब्ध करवाती है।
-छतरियां, गुरुकुल, वाकिंग ट्रेल्स, सांभर हिरण पथ, चीतल पथ के साथ गेबियन आकर्षण का केंद्र
अलवर शहर स्थित लव कुश वाटिका में अलग अलग घूमने के पथ बनाये गए है. जिसके तहत सांभर हिरण पथ, चीतल पथ मुख्यतया है ताकि आमजन को वन एवं वन्यजीवों के साथ जोड़ा जा सके। वही वाटिका में भूजल स्तर में सुधार करने की दृष्टि से गेबियन बनाये हैं। गेबियन एक ऐसी संरचना होती है जिसके तहत पानी के वेग को नियंत्रित कर मिटटी के बहाव को रोक कर आसपास के भूजल स्तर को बढ़ाया जा सकता है। गेबियन के अंतर्गत वाटिका में एक पहाड़ी से प्राकृतिक झरने से पानी आता है जिसे संरक्षित कर वाटिका के रख रखाव में भी उपयोग में लिया जाता है।
पर्यटक हो रहे अभिभूत—
स्थानीय निवासियों के अलावा यहाँ दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश से भी पर्यटक प्राकृतिक रोमांच का लुत्फ़ उठाने प्रतिदिन पहुंच रहे है। स्थानीय वन अधिकारियों के अनुसार लव कुश वाटिका बनने के बाद पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है जिससे आस पास के निवासियों को भी रोजगार के साधन उपलब्ध हो रहे है। वही यहां आने वाले पर्यटक यहाँ के अद्भुद प्राकृतिक नज़ारे देखकर अभिभूत है और वन विभाग एवं राज्य सरकार को इस तरह के अकल्पनीय कदम के लिए धन्यवाद दे रहे है ।