नीलाम खानों के मंशापत्रधारकों द्वारा समय पर आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने में देरी को लेकर राज्य सरकार गंभीर है। प्रमुख सचिव खान, भूविज्ञान और पेट्रोलियम टी. रविकान्त ने मंशापत्रधारकों से नीलाम खानों के मशांपत्रधारकों को आवश्यक अनुमतियों के लिए समय पर आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन करने को कहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार नीलाम खानों को जल्द से जल्द परिचालन में लाना चाहती है। जिससे खनन क्षेत्र में निवेश, रोजगार और राजस्व के नए अवसर विकसित हो सके। उन्होंने 8 मंशापत्रधारकों द्वारा पर्यावरण स्वीकृति के लिए आवेदन तक नहीं करने को गंभीरता से लिया है।
प्रमुख सचिव ने बताया कि आवश्यक अनुमतियों के संबंध में मंशापत्रधारकों, सीया, सेक व राजस्व व खान अधिकारियों को बुधवार को खनिज भवन में साझा मंच उपलब्ध कराया गया ताकि प्रक्रिया, जिज्ञासा और समस्याओं का समाधान हो सके। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की स्पष्ट मंशा है कि नीलाम खानें जल्द से जल्द परिचालन में आएं। इसके लिए विभाग द्वारा पोस्ट ऑक्शन फेसिलिटेशन सेल गठित करने के साथ ही लगातार समन्वय बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, यह भी जानकारी में आया है कि कुछ मंशापत्रधारकों द्वारा औपचारिकता पूरी करने के लिए आवेदन तो कर दिया जाता है पर पूरे दस्तावेज या स्पष्ट दस्तावेज संलग्न नहीं किये जाते हैं तो दूसरी और सिया, सेक, राजस्व या खान विभाग द्वारा अधूरी सूचना को पूरा करने के लिए पत्राचार किया जाता है तो उसे भी गंभीरता से नहीं लिया जाता है।
श्री रविकान्त ने कहा कि अब आवश्यक अनुमतियों के अभाव के कारण मंशापत्रधारकों द्वारा अवधि बढ़ाने के आवेदन प्राप्त होते हैं तो सरकार स्तर पर समय सीमा बढ़ाने से पहले यह भी देखा जाएगा कि संबंधित मंशापत्रधारक द्वारा अनुमतियां प्राप्त करने के वास्तविक प्रयास भी किये गये हैं या नहीं। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा सेक, सीया, राजस्व, जिला कलक्टरों विभाग सहित सभी संबंधित विभागोें के साथ ही संबंधित मंशापत्रधारकों से अनवरत समन्वय बनाये के बावजूद उत्साहजनक परिणाम प्राप्त नहीं होने को सरकार गंभीरता से ले रही है। वहीं स्टेट एनवायरमेंट इंपेक्ट एसेसमेंट आथोरिटी (सीया) के सदस्य सचिव विजय एन ने बताया कि पर्यावरण स्वीकृति के लिए आवश्यक दस्तावेजों की चैक लिस्ट जारी है, उसके बाद भी अधूरे या अस्पष्ट आवेदनों के कारण भी अनावश्यक बिलंब होता है। कहीं डेटा अधूरा होता है तो कहीं दस्तावेज अपठनीय या अस्पष्ट होने से अनावश्यक पत्राचार होता है। उन्होंने मंशापत्रधारकों द्वारा भी समय पर प्रत्युत्तर देने की आवश्यकता प्रतिपादित की। सेक के सदस्य सचिव श्री प्रदीप असनानी ने भी विचाराधीन प्रकरणों में बिलंब होने के कारणों की और ध्यान दिलाया।




