संस्कृत में एक वाक्यांश है “अहो रूपम अहो ध्वनि” जिसका अर्थ है “अहा, क्या रूप है! अहा, क्या ध्वनि है!” जहां दो व्यक्ति एक-दूसरे की झूठी प्रशंसा कर रहे होते हैं, खासतौर पर जब दोनों में से किसी के पास प्रशंसा करने लायक कुछ खास न हो। संस्कृत में एक उदाहरण है, “उष्ट्राणां विवाहेषु गीतं गायन्ति गर्दभाः। परस्परं प्रशंसन्ति अहो रूपं अहो ध्वनिः।” जिसका अर्थ है, गधे ऊंटों के विवाह में गीत गाते हैं और एक-दूसरे की प्रशंसा करते हैं, “अहो रूपं अहो ध्वनिः” कहकर। कुछ इसी तरह की घटना सहकारिता विभाग में देखने को मिली।
मौका था सोमवार को अपेक्स बैंक सभागार में ‘सहकार एवं रोजगार उत्सव’ के सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों का धन्यवाद देने का। इस दौरान सहकारिता राज्य मंत्री गौतम कुमार दक ने सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां श्रीमती मंजू राजपाल की जम कर प्रशंसा की और श्रीमती राजपाल ने भी मंत्री दक की पग रोप कर प्रशंसा के पुल बांधे। जबकि सफल आयोजन का श्रेय आमजन, केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को जाता है। आमजन बरसात के मौसम में भी श्री शाह को सुनने के लिये डटे रहे और श्री शाह भी सही समय पर सभा में पहुंचे। वहीं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी सहकारिता विभाग की समय—समय पर समिक्षा कर विभाग की कमी—बेसी को दूर किया था। विभाग की प्रमुख शासन सचिव ने तो मंत्री की शान में यहां तक गाल बजा दिये कि उन्होने कार्यक्रम के सफल आयोजन की जिम्मेदारी स्वयं अपने कंधों पर लेकर दिन-रात मेहनत की है और सफल आयोजन का श्रेय केवल और केवल मंत्री दक को दे दिया। इसलिए, “अहो रूपम अहो ध्वनि” का उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति की प्रशंसा करने के लिए किया जाता है जो वास्तव में प्रशंसा के योग्य नहीं है।