मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में डेयरी और पशुपालन क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हो रही है। प्रदेश में कार्यशील दुग्ध संघों की वित्तीय स्थिति में व्यापक सुधार होने के साथ ही दुग्ध प्रसंस्करण की क्षमता का निरंतर विकास और विस्तार हो रहा है। वहीं, सहकारिता तंत्र के सुदृढ़ीकरण से ग्रामीणों के आर्थिक और सामाजिक जीवन में बड़ा सकारात्मक बदलाव आ रहा है, जो विकसित राजस्थान-2047 की यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगा।
प्रदेश में महिला, युवा, मजदूर और किसानों के सशक्तिकरण के संकल्प को राज्य सरकार अपनी नीतियों के केंद्र में रखकर प्रदेश के किसानों और पशुपालकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य कर रही है। इसी प्रतिबद्धता के फलस्वरूप प्रदेश में दुग्ध उत्पादन तथा कैटल फीड से संबंधित गतिविधियों का वार्षिक टर्नओवर 8,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 10,000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष पहुंच गया है। इस वर्षिक टर्नओवर में बढ़ोतरी से दुग्ध संघों की वित्तीय स्थिति व्यापक सुधार आया है। इनके वार्षिक लाभ में लगभग 44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं, पूर्व में प्रदेश की 15 मिल्क यूनिट्स हानि की श्रेणी में संचालित हो रही थी। लेकिन, आज सभी 24 मिल्क यूनिट्स लाभ की स्थिति में हैं।
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार प्रदेश में व्यापक अभियान चलाकर लगभग एक लाख नए किसानों को सहकारिता आंदोलन से जोड़ा गया है, जिससे किसानों के जीवन स्तर में सकारात्मक परिवर्तन आया है। नवीन सदस्यों के आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए आरसीडीएफ में दूध के क्रय मूल्य में भी आवश्यकतानुसार वृद्धि भी की है।
आरसीडीएफ द्वारा नवाचार और गुणवत्ता संवर्धन के क्षेत्र में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हीं प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। आरसीडीएफ को डेयरी क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के सर्वाेच्च राष्ट्रीय सम्मान ‘गोपाल रत्न पुरस्कार‘ की तीनों श्रेणियों में चयनित किया गया है।




