Education News: प्रदेश में शिक्षा पर राजनीति भारी

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राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं की इतिहास की पुस्तक में ‘आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत’ के विषय को लेकर राजनीति विवाद हो गया है। भाजपा का आरोप है कि इस किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान की अनदेखी की गई है तो वहीं कांग्रेस का कहना है कि सरकार बच्चों से सच्चाई और इतिहास छिपाना चाहती है। दूसरी ओर इस सियासी विवाद में बोर्ड के सीनियर असिस्टेंट डायरेक्टर दिनेश कुमार ओझा को हटाकर उन्हे शिक्षा निदेशालय, बीकानेर लगा दिया गया है।
मामला राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल द्वारा नए सत्र-2025 के लिए 4.90 लाख किताबें छपवाने का है। ये किताबें 19,700 स्कूलों में वितरित की जानी थीं और ज्यादार किताबें स्कूलों में पहुंचा दी भी गई है। अब किताबों के वितरण पर सरकार ने रोक लगा दि है। सरकार के इस फैंसले को लेकर कांग्रेस ने शिक्षा व्यवस्था में वैचारिक हस्तक्षेप का आरोप लगाया है।
शिक्षामंत्री मदन दिलावर का कहना है कि किताब में गांधी-नेहरू परिवार और कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्रियों पर विस्तृत सामग्री छापी है और पिछले 11 वर्षों से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान को नजरअंदाज किया है। ये असंतुलन शिक्षा में सही नहीं है। उन्होने कहा कि चाहे पैसे बर्बाद हो जाये, लेकिन बच्चों को गलत जानकारी और जहर नहीं परोसा जाएगा। वहीं सरकार ने इस पुस्तक को स्कूलों में पढ़ाने पर रोक लगा दी है।

यह पुस्तक सरकार की अनुमति से छपी थी। यह पिछले वर्षों की तरह ही है और 2026-27 में सिलेबस संशोधन होना है। मुझे हटाने का कारण स्पष्ट नहीं किया गया। ओझा ने इस कार्रवाई पर निराशा जताई।
दिनेश ओझा
सीनियर असिस्टेंट डायरेक्टर बोर्ड

ओझा का तबादला शिक्षा निदेशालय, बीकानेर कर दिया गया है। इससे पहले भी डेढ़ महीने पहले एकेडमिक निदेशक राकेश स्वामी को APO कर हटाया गया था।
कैलाश चंद्र शर्मा
बोर्ड सचिव

 

 

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