जयपुर डिस्कॉम ने फॉल्ट रेक्टिफिकेशन टीम (एफआरटी सेवा) के प्रभावी और बेहतर संचालन के लिए नई पहल की है। निगम ने इस व्यवस्था में सुधार के लिए कई प्रयास किए हैं। जिनसे उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिल पाएंगी और उनकी शिकायतों का त्वरित निराकरण संभव होगा।
सेवा प्रदाता द्वारा नियुक्त कार्मिकों का सत्यापन —
डिस्कॉम प्रबंधन के निर्देश पर एफआरटी सेवा प्रदाता द्वारा नियुक्त कार्मिकों का आधार आधारित सत्यापन किया जा रहा है। इस कार्य के लिए सर्किलवार कमेटी गठित की गईं हैं। इन समितियों ने जयपुर शहर और जिला सर्किल को छोड़कर शेष सभी 14 सर्किलों में कार्मिकों के दस्तावेज के वेरीफिकेशन का प्रथम चरण का कार्य पूरा कर भी लिया है। इस प्रक्रिया में सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा नियुक्त करीब 3 हजार कार्मिकों के दस्तावेज की जांच कर ली गई है। जयपुर शहर व जयपुर जिले के चारों सर्किलों के लिए यह प्रक्रिया तीन-चार दिन में पूर्ण हो जाएगी। इसके माध्यम से कार्यरत लाइनमैन कार्मिकों और ड्राइवरों की योग्यता का सत्यापन किया जाना सुनिश्चित होगा। पूर्व में यह शिकायत सामने आती थी कि एफआरटी वाहनों में निर्धारित संख्या में कार्मिक मौजूद नहीं रहते। इस शिकायत के आधार पर 8 जुलाई को डिस्कॉम के सभी सर्किलों में पहली बार एक साथ एफआरटी वाहनों की आकस्मिक जांच की गई थी, जिसमें सेफ्टी टूल्स, जीपीएस, स्मार्ट फोन नहीं होने के साथ ही कई वाहनों में कार्मिक निर्धारित संख्या में नहीं मिले थे। जिस पर 13 लाख रूपए से अधिक का जुर्माना लगाया गया था। अब वेरीफिकेशन के बाद इस समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि जयपुर डिस्कॉम के सभी 18 सर्किलों के 232 सब डिविजनों में 340 एफआरटी वाहन संचालित हैं। जिसके माध्यम से सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं की ‘नो करेंट‘ से संबंधित समस्याओं का समाधान किया जाता है। एफआरटी के लिए जयपुर डिस्कॉम ने नया कार्यादेश दिया है। जिसके माध्यम से जल्द ही सेवा प्रदाता फर्म द्वारा कार्य प्रारम्भ किया जाएगा।
अब एचटी लाइन से जुड़ी शिकायतों का भी समाधान —
एफआरटी सेवा के लिए पहले जो टेंडर किए जाते थे, उसमें सिर्फ एलटी लाइनों से जुड़ी उपभोक्ताओं की नो करेंट संबंधी समस्याओं को दूर करने का काम सेवा प्रदाता कंपनी के माध्यम से होता था। पहली बार इसमें 11 केवी हाई ट्रांसमिशन (एचटी) से जुड़ी शिकायतों को भी सम्मिलित किया गया है। इससे उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिलेंगी और एचटी लाइनों से जुड़ी शिकायतों का भी इस माध्यम से निराकरण किया जा सकेगा।
वहीं दो घंटे से अधिक समय तक कंप्लेन को अटैंड नहीं किए जाने की स्थिति में एफआरटी सेवा प्रदाता कंपनी पर पेनल्टी लगाने का प्रावधान है। अब तक कॉल सेंटर व फॉल्ट रेक्टिफिकेशन टीम की गतिविधि एक ही सेवा प्रदाता के माध्यम से संचालित होती थीं। इस व्यवस्था के कारण समाधान नहीं होने के बावजूद शिकायत बंद करने (फॉल्स क्लोजर) जैसी शिकायतें सामने आती थीं। जिससे कि पेनल्टी से बचा जा सके। ऐसे में डिस्कॉम प्रबंधन ने कॉल सेंटर और एफआरटी के लिए अलग-अलग टेंडर किए और इस बार दोनों कार्यों का जिम्मा पृथक-पृथक सेवा प्रदाता कंपनियों के माध्यम से संचालित किया जाएगा। सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता से दोनों के अलग-अलग मॉड्यूल विकसित किए गए हैं। इससे फॉल्स क्लोजर तथा शिकायत का निवारण नहीं करने पर पेनल्टी से बचने की समस्या दूर हों सकेंगी।
पूर्व में जहां प्रत्येक एफआरटी में एक लाइनमैन, दो हैल्पर और एक ड्राइवर के रूप में चार कार्मिक रहते थे। इस बार एचटी लाइनों के लिए एक अतिरिक्त लाइनमैन की व्यवस्था की गई है। इससे शिकायतों के त्वरित समाधान में सहायता मिलेगी। तीन साल से पुराने वाहन नहीं होने शर्त होने की वजह से सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा बड़ी संख्या में नए वाहन उपलब्ध कराए गए हैं। जिन पर टोल फ्री हेल्पलाईन नम्बर, आईवीआरएस नम्बर दर्शाने जरूरी किए गए हैं। इस सेवा के निशुल्क होने की जानकारी भी वाहनों पर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं जिससे कि उपभोक्ता को यह जानकारी रहे कि यह सेवा निशुल्क है।