Medical College News: प्रदेश में अब मेडिकल काॅलेजों में मैनेजमेंट सीटों के नाम पर नहीं होगी अधिक फीस की वसूली

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चिकित्सा शिक्षा विभाग के शासन सचिव अम्बरीष कुमार ने बताया कि पूर्व में कुछ निजी मेडिकल काॅलेजों द्वारा मनमाने ढंग से फीस वसूलने की शिकायतें मिली थी। इसके बाद राज्य सरकार ने विद्यार्थियों के हित में फीस वसूली के नियमों में पूर्ण पारदर्शिता रखने के उद्देश्य से यह आदेश जारी किया है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस्लामिक एकेडमी ऑफ एजुकेशन बनाम कर्नाटक राज्य मामले में दिए गए निर्णय की अनुपालना में यह आदेश जारी किया गया है। जिसमें निजी शैक्षणिक संस्थानों में शुल्क निर्धारण और प्रवेश प्रक्रिया को विनियमित करने पर जोर दिया गया है। आदेश के अनुसार राज्य स्तरीय शुल्क निर्धारण समिति द्वारा निर्धारित शुल्क संरचना का पालन सभी मेडिकल काॅलेजों के लिए अनिवार्य है।

कुछ काॅलेज 15 प्रतिशत सीटों को मैनेजमेंट सीट्स बताकर कर रहे थे अतिरिक्त वसूली—
चिकित्सा शिक्षा सचिव ने बताया कि यह आदेश मुख्य रूप से निजी चिकित्सा महाविद्यालयों द्वारा अनाधिकृत रूप से अतिरिक्त शुल्क वसूली की शिकायतों के आधार पर जारी किया गया है। विशेष रूप से यूजी काउंसलिंग बोर्ड की वेबसाइट पर कुछ निजी कॉलेजों द्वारा 15 प्रतिशत सीटों को मैनेजमेंट सीट्स बताकर अतिरिक्त शुल्क प्रदर्शित किया जा रहा है, जो शुल्क नियामक समिति द्वारा अधिकृत नहीं है। यह सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की अवहेलना है, जिसमें शिक्षा को लाभकारी व्यवसाय बनाने पर रोक लगाई गई है।

शिकायतों और निरीक्षणों से सामने आई स्थिति—
कई मामलों में विद्यार्थियों से निर्धारित शुल्क से अधिक राशि वसूल करने की शिकायतें प्राप्त हुई थीं। राज्य सरकार को प्राप्त शिकायतों और निरीक्षणों से पता चला कि कुछ संस्थाएं व्यावसायीकरण की प्रवृत्ति अपनाकर विद्यार्थियों का शोषण कर रही हैं, जो संवैधानिक मूल्यों के विरूद्ध है। इस आदेश से ऐसी अनियमितताओं पर रोक लगाई जा सकेगी। आदेश के अनुसार निजी चिकित्सा महाविद्यालयों को अनुमोदित शुल्क संरचना का पालन करना होगा। सभी निजी चिकित्सा महाविद्यालयों और डेंटल महाविद्यालयों को समिति द्वारा निर्धारित शुल्क संरचना के अनुसार ही विद्यार्थियों से शुल्क वसूल करना होगा।

ज्यादा शुल्क लिया तो ब्याज सहित लौटाना होगा, संबद्धता हो सकती है समाप्त—
चिकित्सा शिक्षा सचिव ने बताया कि किसी भी संस्था द्वाराअनुमोदित शुल्क से अधिक कोई अन्य शुल्क वसूला जाता है तो प्रभावित विद्यार्थियों को 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ शुल्क वापस किया जाएगा। नियमों का अनुपालन न करने पर संस्था की संबद्धता आरयूएचएस और एमएमयू से समाप्त की जा सकती है, अतिरिक्त शुल्क काॅलेज की संपत्तियों से वसूल किया जाएगा और प्रभावित विद्यार्थियों को अन्य चिकित्सा महाविद्यालयों में स्थानांतरित किया जाएगा। ऐसी संस्थाओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी। इसकी जानकारी एनएमसी और डीसीआई को भी दी जाएगी। संबद्धता समाप्त होने पर विद्यार्थियों के शुल्क और वित्तीय भार की वसूली संबंधित संस्था से की जाएगी।

आदेश से फीस वसूली में आएगी पारदर्शिता, चिकित्सा शिक्षा होगी बेहतर—
राज्य सरकार के इस आदेश से विद्यार्थियों से अनुचित फीस वसूली पर प्रभावी रोकथाम लगेगी। साथ ही, चिकित्सा शिक्षा अधिक सुलभ और किफायती बनेगी। इससे मेरिट आधारित प्रवेश प्रक्रिया मजबूत होगी और आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी, व्यावसायीकरण पर रोक लगेगी और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। चिकित्सा शिक्षा का स्तर बेहतर होगा और स्वास्थ्य सेवाओं में योगदान करने वाले योग्य डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी। ईमानदार संस्थाओं को समान प्रतिस्पर्धा का अवसर मिलेगा।
चिकित्सा शिक्षा सचिव ने कहा है कि विद्यार्थी और अभिभावक प्रवेश से पहले शुल्क की आधिकारिक सूची की जांच कर लें और कोई अनियमितता पाएं तो तुरंत चिकित्सा शिक्षा विभाग या शुल्क निर्धारण समिति से शिकायत करें।

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