राज्य सरकार ने प्रदेश के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालयों और इनसे संबद्ध अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन को और मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर की मंजूरी के बाद चिकित्सा शिक्षा विभााग ने मेडिकल काॅलेज के प्रधानाचार्य और नियंत्रक, अतिरिक्त प्रधानाचार्य व संबद्ध अस्पतालों में अधीक्षकों की नियुक्ति हेतु नियमों में बदलाव करते हुए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा-निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गये हैं। चिकित्सा मंत्री ने कहा है कि मेडिकल काॅलेज और इससे संबद्ध अस्पतालों में मरीज भार अत्यधिक होने के साथ ही यहां प्रशासनिक कार्यों की अधिकता रहती है और विशेष परिस्थितियों में कार्य सम्पादन किया जाता है। ऐसे में मेडिकल कॉलेजों में पूर्णकालिक रूप से दक्ष व कुशल प्रशासक होना आवश्यक है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने विस्तृत विचार विमर्श के बाद प्रधानाचार्यों, अतिरिक्त प्रधानाचार्यों और अधीक्षकों के चयन व नियुक्ति के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं, इस जनहितैषी निर्णय से स्वास्थ्य सेवाओं का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा।
वहीं चिकित्सा शिक्षा सचिव अम्बरीष कुमार ने बताया कि परिपत्र के अनुसार राजकीय चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य और नियंत्रक व संबद्ध अस्पतालों के अधीक्षक प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। वे अपने आचार्य या वरिष्ठ आचार्य जैसे पदीय कर्तव्यों के लिए एक चौथाई से ज्यादा समय नहीं देंगे। चयनित प्रधानाचार्य और अधीक्षक को विभागाध्यक्ष या यूनिट हैड बनने की अनुमति नहीं होगी। इसके लिए उन्हें आवेदन पत्र के साथ इस संबंध में घोषणा पत्र भी देना होगा। उन्हें यह भी शपथ पत्र देना होगा कि वे पीएमसी के पद पर पूर्णकालिक रूप से कार्य करेंगे।




