प्रदेश में विलायती बबूल उन्मूलन के लिए सरकार व्यापक कार्ययोजना बना रही है। मामले में आज पंचायती राज के सभागार में पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने विभिन्न विभागों के साथ संवाद किया। संवाद के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े मंत्री दिलावर ने कहा कि प्रदेश से विलायती बबूल के प्रभावी और स्थायी उन्मूलन के लिए सभी विभागों को समन्वित रूप से कार्य करना होगा। वन और राजस्व विभागों द्वारा एक स्पष्ट और पारदर्शी दिशा-निर्देश जारी होने के बाद प्रदेश के प्रत्येक गांव में अभियान के रूप में विलायती बबूल के उन्मूलन का कार्य निर्बाध रूप से प्रारंभ किया जाएगा। वहीं दोनो विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि एक आदेश शीघ्र जारी किया जाए ताकि इस पौधे की कटाई के लिए बार-बार अनुमति लेने की आवश्यकता समाप्त हो और किसी प्रकार की वैधानिक बाधा न उत्पन्न हो।
श्री दिलावर ने बताया कि विलायती बबूल एक आक्रामक विदेशी प्रजाति है, जो प्रदेश की ग्रामीण भूमि, चारागाहों और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। इसकी गहरी जड़ें (लगभग 30 फीट तक) और अत्यधिक जल सोखने की क्षमता (15 मीटर तक) भूजल स्तर में गिरावट और मृदा की उर्वरता में कमी का कारण बन रही हैं। इसके कारण देशी पौधों की प्रजातियाँ भी नष्ट हो रही हैं। उन्होने कहा कि सभी संबंधित विभाग आपसी समन्वय से एक व्यवस्थित और सक्रिय अभियान के रूप में विलायती बबूल का उन्मूलन करने की दिशा में कार्य करें। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कटाई के दौरान अन्य उपयोगी वृक्षों को कोई क्षति न पहुंचे। विलायती बबूल के कोयले के परिवहन में आने वाली प्रक्रियात्मक कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए परिवहन की अनुमति प्रणाली को सरल बनाया जाए। श्री दिलावर ने सुझाव दिया कि इस पौधे के पुनः उगने की प्रवृत्ति को देखते हुए राज्य सरकार को इसके उन्मूलन के लिए तीन से चार वर्ष की दीर्घकालिक कार्ययोजना तैयार करनी होगी।