मौसमी बीमारियों से बचाव और रोकथाम के लिए प्रदेशभर में आशा, एएनएम व सीएचओ द्वारा शनिवार से घर-घर सर्वे किया जाएगा। सर्वे के दौरान आमजन को बीमार होने पर तत्काल चिकित्सा संस्थान पहुंचकर परामर्श लेने, चिकित्सकीय सलाह से ही दवा का सेवन करने, बच्चों की पहुंच से दवा को दूर रखने व दवा के दुष्प्रभाव सामने आने पर आवश्यक उपाय बरतने के संबंध में जागरूक किया जाएगा।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ ने शुक्रवार को स्वास्थ्य भवन में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से समीक्षा कर रही थी। श्रीमती राठौड़ ने कहा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना का प्रभावी तरीके से संचालन किया जा रहा है। लेकिन यह सुनिश्चित किया जाए कि योजना में उपलब्ध करवाई जाने वाली दवाएं रोगियों को निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार लिखी जाएं और आमजन दवाओं का उपयोग चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही करें। विगत दिनों कुछ स्थानों पर बिना परामर्श खांसी की दवा के सेवन के कारण बच्चों में दुष्प्रभाव के मामले सामने आए हैं। यह चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए जरूरी है कि चिकित्सकों, फार्मासिस्ट व आमजन को दवाएं लिखने और उनके उपयोग के बारे में आवश्यक जानकारी हो। उन्होंने सख्त हिदायत दी कि भविष्य में ऐसी घटनाएं सामने आने पर संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
उन्होने ने कहा कि बारिश का दौर थमने के साथ ही मौसमी बीमारियों का प्रसार होने की आशंका बनी रहती है। इस मौसम में खांसी, जुकाम, बुखार आदि के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। इसे ध्यान में रखते हुए सभी चिकित्सा संस्थानों में जांच, दवा एवं उपचार की समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित हों। उन्होंने कहा कि दवाएं लिखते समय चिकित्सक यह ध्यान रखें कि बच्चों और व्यस्कों को कौनसी दवाएं लिखी जानी चाहिए, इसके प्रोटोकॉल का पूरा पालन हो। कोई भी दवा देते समय परिजनों को उसकी खुराक के संबंध मे पूरी जानकारी दें। प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि फार्मासिस्ट चिकित्सक की पर्ची के बिना दवाओं का वितरण न करें और दी जाने वाली दवाओं के उपयोग के संबंध में रोगी व परिजन को आवश्यक जानकारी दें। एएनएम, आशा और सीएचओ सर्दी, खांसी, जुकाम या बुखार के लक्षण वाले व्यक्तियों को चिकित्सक से परामर्श के लिए प्रेरित करें। दवाओं के उपयोग से कोई भी दुष्प्रभाव की जानकारी मिलने पर तुरंत सेक्टर प्रभारी को सूचित करें। साथ ही, अभिभावकों को दवाओं के सावधानीपूर्वक उपयोग के बारे में जागरूक करें। आमजन को इस संबंध में भी जागरूक करें कि वे दवा का सेवन पंजीकृत चिकित्सक की सलाह तथा निर्धारित खुराक के अनुसार ही करें।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ. अमित यादव ने कहा कि 4 साल से कम उम्र के बच्चों को डेक्सट्रोमोरफन युक्त दवा नहीं दी जाए। आमजन को समझाया जाए कि वे घर में रखी दवाओं का बिना चिकित्सकीय परामर्श के सेवन नहीं करें। दवा के सेवन के बाद किसी भी तरह का दुष्प्रभाव यथा सांस लेने में कठिनाई, सुस्ती, बेहोशी, उल्टी, दौरे जैसे लक्षण नजर आएं तो नजदीकी अस्पताल या हेल्पलाइन नंबर 104/108 या राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम नंबर 0141-2225624 पर सम्पर्क किया जा सकता है। निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने कहा कि चिकित्सक यह सुनिश्चित करें कि ओपीडी और आईपीडी में रोगी को दवा स्पष्ट रूप से लिखें और दवा की कितनी खुराक कब लेनी है, यह जानकारी पर्ची पर अंकित करने के साथ ही रोगी को भी इस संबंध में समझाएं। रोगी एवं उनके परिजनों को दवा की मात्रा एवं दुष्प्रभावों को बारे में पूरी जानकारी दी जाए।