देश के खनिज प्रधान प्रमुख प्रदेशों की नीलाम खानों को शीघ्र परिचालन में लाने के लिए आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने की बेस्ट प्रेक्टिसेज को अपनाया जाएगा। प्रमुख सचिव माइंस टी. रविकान्त ने अधिकारियों को जानकारी देते बताया कि सरकार द्वारा खनिज प्रधान प्रमुख प्रदेश उड़ीसा, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्यप्रदेश आदि में अनुमतियां प्राप्ति में लगने वाले समय और आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने की व्यावहारिक प्रक्रिया का अध्ययन कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्राप्त अध्ययन रिपोर्ट का विश्लेषण कर व्यावहारिक प्रक्रिया को अपनाया जायेगा।
प्रमुख सचिव ने बताया कि अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार विभाग व संबंधित विभागों से एसओपी जारी कराई जाएगी ताकि एलओआई धारक अनुमतियों के लिए आवश्यक दस्तावेज एसओपी के अनुसार प्रस्तुत कर सके। उन्होंने बताया कि इससे आवश्यक अनुमतियों के लिए प्राप्त आवेदनों में अपूर्ण या आवश्यक दस्तावेजों का अभाव नहीं रह सकेगा और इस कारण से आवेदन पर त्वरित निर्णय किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि अनावश्यक देरी को निरुत्साहित किया जाएगा। एम्पेनल्ड विशेषज्ञों द्वारा भी आधी अधूरी सूचनाओं के साथ आवेदन प्रस्तुत नहीं करवाया जा सकेगा।
श्री रविकान्त ने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा नीलाम खानों को तय समय सीमा में आवश्यक अनुमतियां उपलब्ध कराकर परिचालन में लाने पर जोर दिया जा रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा भी इसकी नियमित समीक्षा की जा रही है। उन्होंने बताया कि जिस तरह से खान विभाग नीलाम खानों को शीघ्र परिचालन में लाने के लिए समग्र व समन्वित प्रयास कर रहा है उसी तरह से एलओआई धारकों और संबंधित विभागों व संस्थाओं को भी आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि यह निवेश, रोजगार और रेवेन्यू से जुड़ा है और प्रदेश के समग्र आर्थिक विकास में भागीदारी का प्रयास है। वहीं निदेशक माइंस महावीर प्रसाद मीणा ने बताया कि विभाग स्तर से संबंधित विभागों और एलओआई धारकों से समन्वय बनाया जा रहा है और नीलाम खानों को शीघ्र परिचालन में लाने के लिए अनुमतियां दिलाने के लिए तकनीकी सहयोग व मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जा रहा है।




