खान विभाग द्वारा 8 अक्टूबर तक 4404 करोड़ 98 लाख रु.का राजस्व अर्जित किया गया है। खान एवं भूविज्ञान विभाग के प्रमुख सचिव टी. रविकान्त ने बताया कि आलोच्य अवधि का यह अब तक का सर्वाधिक राजस्व संग्रहण होने के साथ ही गत वित्तीय वर्ष की इसी अवधि से 60 करोड़ रुपए अधिक है। इससे पूर्व के वर्ष की तुलना में यह लगभग एक सौ करोड़ रुपए अधिक है। श्री रविकान्त ने बताया कि खनन क्षेत्र में राजस्व संग्रहण गति पकड़ने के साथ ही विभागीय अधिकारियों को राजस्व संग्रहण पर और अधिक फोकस के निर्देश दिए गए हैं।
प्रमुख सचिव ने निदेशक खान महावीर प्रसाद मीणा व वरिष्ठ अधिकारियों की राजस्व संग्रहण को लेकर समीक्षा की। जुलाई-अगस्त में खनन क्षेत्र में हड़ताल व अन्य कारणों से राजस्व संग्रहण में विपरीत प्रभाव पड़ा पर समन्वित प्रयासों और बेहतर निगरानी के चलते सितंबर में राजस्व संग्रहण के सराहनीय प्रयास किये गये हैं।
श्री टी. रविकान्त ने कहा कि खनन राज्य सरकार के राजस्व संग्रहण का प्रमुख विभाग है। पिछले सालों से राजस्व लक्ष्यों में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि राजस्व वसूली में किसी तरह की कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने नए व पुराने बकाया सहित राजस्व के सभी बिन्दुओं पर नियमानुसार वसूली के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राजस्व की छीजत न हो, एमनेस्टी, अवैध खनन गतिविधियों के जुर्माने, आरसीसी-ईआरसीसी सहित सभी संभावित बकाया वसूली की नियमित समीक्षा की जाए। इस वर्ष खान विभाग को 12980 करोड़ रुपए के राजस्व संग्रहण के लक्ष्य दिए गए हैं। गत वितीय वर्ष 2024-25 में 9228 करोड़ 21 लाख रुपए राजस्व के रुप में राजकोष में जमा करवाये गए।
श्री रविकान्त ने वित्तीय सलाहकार गिरीश कछारा को राजस्व संग्रहण की नियमित समीक्षा करने और प्रतिदिन राज्य सरकार को प्रगति से अवगत कराने के निर्देश दिए। खान निदेशक महावीर प्रसाद मीणा ने विश्वास दिलाया कि राजस्व लक्ष्य प्राप्ति के समन्वित प्रयास किये जाएंगे। राजस्व के सभी संभावित स्रोतों पर फोकस करते हुए वसूली के प्रयास किये जाएंगे। इस दौरान अधिकारियों से राजस्व वसूली लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सुझाव प्राप्त करने के साथ ही वसूली रणनीति पर भी मंथन किया गया। जैसलमेर में वार्षिक लक्ष्यों की तुलना में 99.11 प्रतिशत की राशि वसूल कर की गई, वहीं भीलवाड़ा में सर्वाधिक 880 करोड़ रुपए का राजस्व संग्रहित किया गया है।
समीक्षा में संयुक्त सचिव अरविन्द सारस्वत, अतिरिक्त निदेशक महेष माथुर, अधीक्षण खनिज अभियंतागण एन. एस. शक्तावत, ओ. पी. काबरा, एन.के. बैरवा, एस.पी. शर्मा, ओएसडी श्रीकृष्ण शर्मा ने राजस्व वसूली के संबंध में सुझाव दिए।