प्रदेश में राज्यमंत्री गौतम कुमार दक की सहकारिता विभाग के प्रति उदासीनता गांव और किसान पर भारी पड़ती नजर आ रही है। इस का प्रमुख कारण जनकल्याणकारी योजनाओं में राज्यमंत्री दक का रूची नहीं लेना बताया गया है। जिसकी हानि आमजन को भोगनी पड़ रही है।
विभागीय सूत्र और संचार माध्यमों के अनुसार राज्यमंत्री की विभाग में रूची नहीं होने के कारण जनकल्याणकारी योजनाओं का सही तरह से प्रचार—प्रसार नहीं हो पा रहा है। ऐसे में खेती के पीक समय में भी किसानों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
श्री दक ने राज्यमंत्री की शपथ लेने के 10 माह में विभागी एक्स हैंडल पर केवल 9 पोस्ट ही डाली है। जिसमें पहली पोस्ट 21 मई 2024 की है और अंतिम पोस्ट 28 अगस्त 2024 की है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्यमंत्री दक अपने विभग के प्रति कितने सजग और प्रशन्न है। जबकि पिछली सरकार में 9 महिने की पोस्टों की बात करें तो इससे कहीं ज्यादा नजर आती है। दूसरी ओर विभाग की योजनाओं के प्रेस नोट की बात करें तो केवल नाम मात्र के प्रेस नोट मीडिया को जारी किये है।
अफसर महरबान तो गधा पहलवान
पत्रकारों के अनुसार विभाग में प्रचार—प्रसार का जिम्मा संभाल रहे विनोद कुमार गुप्ता कभी भी अपनी सीट पर नहीं मिलते और ना ही फोन रिसीव करते हैं। इस दौरान मातहत कर्मचारियों का कहना होता है कि अभि तो यहिं थे। पता नहीं कहां गये। जबकि इसके पिछे की कहानी यह कि श्री गुप्ता के पास प्रचार—प्रसार के आलावा और कई अनुभागों की जिम्मेदारी भी है। श्री गुप्ता भली—भांति जानते है कि इस का लाभ कैसे लिया जाता है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि प्रचार—प्रसार का कार्य देखने वाले विनोद कुमार गुप्ता अक्सर राज्यमंत्री गौतम दक के दरबार में ही हाजरी भरते है। इस कारण प्रचार—प्रसार के अलावा और अनुभागों का भी यहीं हाल है। इसी लिये तो जगत में एक कहावत प्रचलित में है कि अफसर महरबान तो गधा पहलवान।