प्रदेश में भूजल का दोहन किसानों के अलावा अन्य किसी को बिना एनओसी के नहीं किया जा सकेगा। इसके लिए विभाग द्वारा किसानों को जागरूक भी किया जाएगा। साथ ही गिरते भूजल स्तर की स्थिति को मद्देनजर रखते हुए अधिक भूजल दोहन पर रोक लगाने के लिए सभी नए और विस्तारित उद्योग, उद्योग जो विस्तार करना चाहते हैं, बुनियादी ढांचा परियोजना, खनन परियोजना थोक जलापूर्ति, शहरी जल आपूर्ति योजनाएं एवं खारा जल निष्कर्षण हेतु भूजल के उपयोग के लिए एनओसी की अनिवार्यता को कठोरता से लागू करने का निर्णय लिया गया है। इनके द्वारा जितनी मात्रा में भूजल का दोहन किया जाएगा उसके निर्धारित अनुपात में भूजल का रिचार्ज किया जाना जरूरी होगा तभी जाकर इस श्रेणी को एनओसी प्रदान की जाएगी।वहीँ कुछ श्रेणियां में एनओसी लेने की छूट भी दी गई है। साथ ही केन्द्रीय भूमि जल प्राधिकरण द्वारा प्रदत्त गाइडलाइन की पालना नहीं करने पर अवैध ट्यूबवेलों को सील करने, विद्युत सप्लाई को रोकने, उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने जैसे कदम उठाये जायेंगे।
भूजल मंत्री कन्हैया लाल ने बताया कि वर्ष 2023 के भूजल संसाधन के आकलन के अनुसार राज्य के कुल 302 ब्लॉकों में से 216 ब्लॉक्स में अतिभूजल दोहन (100 प्रतिशत से अधिक) किया जा रहा है। प्रदेश के केवल 38 क्षेत्र भूजल की दृष्टि से सुरक्षित क्षेत्र हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में न केवल भूजल का स्तर गिर रहा है बल्कि भूजल में बढ़ते टीडीएस, नाइट्रेट और फ्लोराइड के कारण भूजल की गुणवत्ता में भी कमी आई है। प्रदेश में भूजल का दोहन लगभग 148 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में गिरता भूजल स्तर चिंता का विषय है और इस संबंध में तुरंत एक्शन लिया जाना जरूरी है।
इनके लिए एनओसी लेना अनिवार्य—भूजल विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने बताया कि बड़े उद्योग बिना एनओसी भूजल दोहन नहीं कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि सभी नए और मौजूदा उद्योग, उद्योग जो विस्तार करना चाहते हैं, आधारभूत ढांचे से जुड़ी परियोजनाएं, खनन परियोजनाएं, वृहत जल आपूर्ति, शहरी जल आपूर्ति योजनाएं, खारा जल निष्कर्षण के लिए एनओसी लेना अनिवार्य होगा।
इन श्रेणियों में एनओसी की अनिवार्यता की छूट—
डॉ शर्मा ने बताया की कुछ श्रेणियां में एनओसी लेने की छूट दी गई है। व्यक्तिगत घरेलू उपभोक्ता द्वारा पीने के पानी एवं घरेलू कार्यों में उपयोग का पानी, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाएं, सशस्त्र सेना और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल प्रतिष्ठान, कृषि कार्य के लिए, छोटे और लघु उद्योग (10 क्यूबिक मीटर प्रतिदिन से कम भूजल निकालते हैं), सभी उद्योग-खनन आधारभूत परियोजनाएं जो केवल पीने या घरेलू उपयोग के लिए 5 क्यूबिक मीटर प्रतिदिन तक भूजल निकालते हैं, आवासीय अपार्टमेंट और ग्रुप हाउसिंग सोसायटी, पीने के पानी एवं घरेलू कार्य के लिए (प्रतिदिन 20 क्यूबिक मीटर भूजल का दोहन), सरकारी योजनाओं के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की आवासीय इकाइयां को एनओसी लेने से छूट दे गयी है।
एनओसी के लिए ये रहेगी अनिवार्यता—
एनओसी प्राप्त करने के लिए कुछ अनिवार्य शर्तें रखी गई हैं। जिसमें टेलिमेटरिक सिस्टम युक्त टैंपर प्रूफ डिजिटल वाटर फ्लो मीटर लगाना, रूफटॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग एवं रिचार्ज स्ट्रक्चर का निर्माण, डिजिटल जल प्रवाह मीटर के साथ पिजोमीटर लगाना, समय-समय पर भूजल की गुणवत्ता का विश्लेषण और मॉनिटरिंग आवश्यक होगी।
इसकी अतिरिक्त कुछ विशिष्ट दिशा निर्देश भी दिए गए हैं, जिसके अनुसार उद्योगों को उचित जल प्रबंधन की तकनीक काम में लेनी होगी जिससे भूजल पर निर्भरता कम हो सके। उपचारित या अनुपचारित जल को एक्वायफर में डालना पूर्णतया निषेध होगा। साथ ही भूजल को प्रदूषित करने की रोकथाम करने के प्रयासों को सुनिश्चित करना होगा। खनन उद्योगों के लिए खनन गतिविधियों, डस्ट सस्पेंशन के दौरान किए जाने वाली जल निकासी प्रक्रिया के दौरान काम में लिए गए जल का उपयोग करना अनिवार्य किया गया है। आधारभूत ढांचों के प्रोजेक्ट में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण अनिवार्य किया गया है।
ट्यूबवेल की खुदाई मशीन का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य —
प्रदेश में ट्यूबवैल की खुदाई की ड्रिलिंग रिग (खुदाई मशीन) का रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य होगा और इन पंजीकृत ड्रिलिंग रिग्स द्वारा खोदे गए ट्यूबवेल का डेटाबेस भी रखा जाएगा।
जिला मजिस्ट्रेट एवं उपखण्ड मजिस्ट्रेट को पालना सुनिश्चित करने के लिए किया अधिकृत—
केन्द्रीय भूमि जल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने भूजल दोहन के लिए एनओसी का उल्लंघन करने वालों, एनओसी के लिए आवेदन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का जिला कलक्टर और प्रत्येक उपखंड के एसडीएम को अधिकार दिए हैं। राज्य सरकार ने सभी जिला मजिस्ट्रेट एवं उपखण्ड मजिस्ट्रेट से केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण द्वारा प्रदत्त गाइडलाइंस की पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। भूजल दोहन के लिए केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण की एनओसी लेना अनिवार्य होगा। गाइडलाइन की उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें अवैध ट्यूबवेलों को सील करना, अवैध ट्यूबवेलों की विद्युत सप्लाई को रोकना, उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पर्यावरण सुरक्षा एक्ट 1986 की अनुपालना में अभियोजन की कार्यवाही करना शामिल हैं।