Industrial News: सरकार ने औद्योगिक विकास के लिये शुरू की कसरत

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‘राइजिंग राजस्थान’ ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट 2024 के सफल आयोजन के एक महीने के भीतर ही राज्य सरकार राज्य के औद्योगिक विकास को एक नयी दिशा देने में लग गयी है। इसके तहत लॉजिस्टिक्स हब, नए औद्योगिक नोड्स और मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है और इसके लिए राज्य के अंदर मौजूद उपयुक्त भूखंडों की पहचान की जा रही है, ताकि ‘ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस’ और अच्छा हो सके और निवेशकों को कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। इसके मद्देनजर, उद्योग विभाग के प्रमुख शासन सचिव अजिताभ शर्मा और रीको के मैनेजिंग डायरेक्टर इंद्रजीत सिंह के नेतृत्व में वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम ने इन परियोजनाओं के लिए रणनीतिक स्थानों की पहचान करने के उद्देश्य से सोमवार को जयपुर के आसपास के औद्योगिक भूखंडों का दौरा किया।
राज्य सरकार के अधिकारियों ने मांडा, फुलेरा (जो वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के पास है) और बिचून औद्योगिक क्षेत्रों का दौरा किया और लॉजिस्टिक्स हब व औद्योगिक क्षेत्रों के विकास से संबंधित परियोजनाओं के लिए इन क्षेत्रों में उपलब्ध विभिन्न भूखंडों की उपयुक्तता का आकलन किया। इसके अलावा, बागावास गांव में लगभग 67 हेक्टेयर भूमि की उपयुक्तता पर भी विचार किया गया। प्रदेश में लॉजिस्टिक्स पार्क और औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के लिए राज्य सरकार लगभग 200-250 हेक्टेयर जमीन चिन्हित करने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा, अधिकारियों ने मांडा औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार प्रस्तावित लैंड एग्रीगेशन पॉलिसी के तहत करने और बिचून औद्योगिक क्षेत्र के तेजी से विकास पर भी विचार किया।
श्री शर्मा ने कहा कि नए लॉजिस्टिक्स पार्क और औद्योगिक क्षेत्रों के निर्माण से कारोबार के परिचालन में आसानी होगी और व्यापार की लागत कम होगी। दौसा-बांदीकुई क्षेत्र (जो दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के निकट है) और मांडा एक्सटेंशन (जो वेस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के निकट है), जो राज्य के दो औद्योगिक क्षेत्र हैं, में विकास और विस्तार की अपार संभावनाएं हैं। बांदीकुई और मांडा औद्योगिक क्षेत्रों में रीको सरकारी जमीन और एकत्रीकरण के जरिए ली गयी निजी जमीनों पर निवेश और लॉजिस्टिक क्षेत्र विकसित करेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुसार व्यापार करने में आसानी बढ़ाने और इन्वेस्टमेंट समिट के समय में हस्ताक्षरित निवेश प्रस्तावों (एमओयू) को परियोजनाओं में बदलने के लिए राज्य सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

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