मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार शहरी क्षेत्रों के सुनियोजित विकास और उनके मास्टर प्लान के क्रियान्वयन हेतु प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। इसी क्रम में नगरीय विकास विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर प्रदेश के सभी शहरों में विकास प्रोत्साहन एवं नियत्रंण उपविधियां (डवलपमेंट प्रमोशन एवं कंट्रोल रेगुलेशन्स) को लागू किया है।
इन उपविधियों के लागू होने से प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में भावी जनसंख्या की आवश्यकता अनुसार भू-उपयोग मानचित्र में विभिन्न भू-उपयोग यथा आवासीय, व्यावसायिक, संस्थागत, औद्योगिक, सार्वजनिक व अर्ध-सार्वजनिक, आमोद-प्रमोद जैसे कार्य आसानी से संपादित होंगे। भू उपयोग परिवर्तन में लगने वाले समय में कमी आएगी और आमजन को सहूलियत होगी। साथ ही, सामुदायिक, शैक्षणिक, चिकित्सा सुविधाओं हेतु भूमि रूपान्तरण एवं भू-आवंटन की प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ संपादित हो सकेगी, जिससे इनसे संबंधित आधारभूत संरचनाओं के लिए निवेश आएगा। अधिसूचित उपविधियों के अनुसार मुख्य भू-उपयोग में पूरक और संगत गतिविधियांे को अनुज्ञेय करते समय न्यूनतम तकनीकी मापदण्डों का निर्धारण किया गया है। इससे उस क्षेत्र का वातावरण भी प्रभावित नहीं होगा एवं आमजन को आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध हो सकेगी।
इन उपविधियों के अनुसार न्यूनतम तकनीकी मापदण्ड के आधार पर भू-उपयोग परिवर्तन स्थानीय निकाय के स्तर पर अनुमोदित किया जा सकेेगा। प्रत्येक मुख्य भू-उपयोग के अन्तर्गत अनुज्ञेय संगत गतिविधियों का दो श्रेणीयों- अनुमत एवं अनुमति योग्य में विभाजित गया है। अनुमत गतिविधियां स्थानीय निकाय स्तर तथा अनुमति योग्य गतिविधियां क्षेत्रीय नगर नियोजन अधिकारी स्तर से परीक्षण उपरान्त स्थानीय निकाय के स्तर पर अनुज्ञेय की जा सकेगी। उपविधियों के अन्तर्गत कस्बों की श्रेणी या ग्राम आबादी के प्रयोजन के लिए नवीनतम जनगणना द्वारा की गई जनसंख्या को आधार माना जाएगा। एक लाख से अधिक जनसंख्या के शहरों को बड़े शहर तथा एक लाख तक की जनसंख्या के शहरों को लघु व माध्यम शहर माना जाएगा।
उल्लेखनीय है कि विकास प्रोत्साहन एवं नियंत्रण उपविधियों में केवल जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, भिवाडी, पाली आदि शहरों के मास्टर प्लानों को ही सम्मिलित किया गया था। इन उपविधियां के दायरे में अब शेष शहरों को भी शामिल कर लिया गया है।