विधानसभा में कल मंगलवार को हाउस में आदर्श शिष्टाचार का अभाव देखने मिला। शून्यकाल में राजीव गांधी युवा मित्रों को हटाने का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस विधायक रोहित बोहरा ने संसदीय मंत्री जोगाराम पटेल के टोकाटाकी को लेकर डांटते हुए कहा, आप चुप रहें, मंत्री हो तो आपको बीच में बोलने का हक नहीं है। और तू तड़ाके पर आगये। ये परंपरा विधानसभा की नहीं रही है।
उपरोक्त कांड में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की घोर लाचारी देखने मिली। या यूं कह सकते हैं कि उनको हाउस चलाने की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के नियमों का पूर्ण ज्ञान नहीं है। शायद उन्हे ट्युशन की आवश्यकता है।
विधानसभा चलाने की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के नियमों के विशेषज्ञो का कहना है कि श्री देवनानी को उपरोक्त घटना पर सख्त व्यवस्था देनी चाहिए। क्योंकि विधायक रोहित बोहरा का आचरण हाउस के आदर्श शिष्टाचार का हनन करता है। श्री देवनानी ने नियम 269 के तहत केवल अपने पद की गरिमा बनाने के लिये व्यवस्था दी है, जो कि संपूर्ण हाउस के लिये न्याय संगत नहीं है।
विधानसभा अध्यक्ष के ज्ञान और सजगता का अभाव मंगलवार को ही हाउस में 12 बजकर 28 मिनट पर देखने को मिला। जब खुद अध्यक्ष महोदय ने बिलाड़ा विधयक अर्जुन लाल का नाम प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के नियम 295 के तहत पुकारा और विधायक ने अपनी बात रखना शुरू किया तो, माननीय अध्यक्ष महोदय ने बिलाड़ा विधायक को दो बार टोका। और कहा कि आपने जो दिया है वो ही पढ़ रहे है, मेरे पास कुछ अलग भी है। फिर से विधायक को टोकते हुए कहा कि माननीय सदस्य ये वो नही है जो मेरे पास आपने दिया है, जो दिया है वो हीं पढ़े। बिलाड़ा विधायक ने कहा कि मैं वो ही पढ़ रहा हूं। हाउस में ऐसा लग रहा था जैसे सब हवा हवाई हो। जैसे धूड़ में लट्ठ चल रहे हो। बिलाड़ा विधायक कुछ कह रहे हैं और माननीय अध्यक्ष कुछ। ऐसे में कई सवाल खड़े होते है। क्या हाउस इसी तरह चलेगा या फिर सुधार होगा। यह देखने और सोचने वाली बात है। बोलो राधे— राधे