—जितेन्द्र सिंह शेखावत
राजपूताना की रियासत कालीन स्टेट में सन् 1870 से अंग्रेज सरकार ने जातिगत जनगणना शुरू की थी। अंग्रेज सरकार ने सवाई रामसिंह द्वितीय के शासन में जयपुर स्टेट के गांव व शहरों की जनगणना के साथ जातियों के आंकड़े भी एकत्रित किए थे। सन् 1931 की जनगणना के कुछ आंकड़े सन् 1935 में प्रकाशित जयपुर एलबम में दिए गए है। जयपुर रियासत के करीब डेढ़ हजार गांवों और उसकी एक दर्जन निजामतों यानी जिलों की जातिगत आबादी के आंकड़े दिए हैं।

1931 के उस दौर में ढूंढाड़ के जयपुर राज्य में शेखावाटी और तंवरावाटी क्षेत्र शामिल है। जयपुर स्टेट के गावों शहरों और कस्बों की आबादी 26 लाख 31 हजार 775 बताई गई थी। एलबम के अनुसार 23 लाख 83 हजार 304 सनातनी और 2 लाख 14 हजार 581 मुसलमान और आर्य समाज को मानने वाले 1085 लोग बताए गये हैं। इसी तरह 29492 जैन धर्म के लोग थे।इनमें दिगम्बर, श्वैताम्बर और तेरापंथी शामिल थे। सिक्खों की संख्या 189 बताई गई थी। पूरे राज्य में 1558 और जयपुर शहर में ईसाईयों की संख्या 329 बताई गई थी। जाटों की संख्या 3 लाख 13 हजार 609 और पारम्परिक पूजा पाठ, खेती और अध्यापन का कार्य करने वाले ब्राह्मणों की संख्या 2 लाख 77 हजार 958 बताई थी। कभी ढूंढाड़ पर शासन करने वाली मजबूत, परिश्रमी और खेती करने वाली मीणा जाति की आबादी 2 लाख 60 हजार 570 बताई गई थी। इसी प्रकार महाजनों की आबादी एक लाख 61 हजार 520 थी।
रैगर, बलाई यानि कि एससी की आबादी 2 लाख 97 हजार 836 और गुर्जर एक लाख 92 हजार 542 और माली जाति एक लाख 36 हजार 931 बताई गई थी। कुम्हारों की संख्या 92 हजार 4 13 और 74 हजार 376 अहीर जाति बताई गई थी। कछवाहा जैसी सभी गौत्रों के राजपूतों की संख्या 1 लाख 13 हजार 389 थी। उन दिनों बीए पास करने वालों को ऊंचे ओहदे की नौकरी मिलती थी। हरिश्चन्द्र तोतुका को 1921 में जयपुर स्टेट की जनगणना का काम सौपा था।